How Much You Need To Expect You'll Pay For A Good sidh kunjika
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देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति नवमोऽध्यायः
"During the Area which imagined creates all over itself there isn't any like. This Room divides man from male, and in it can be each of the becoming, the fight of lifetime, the agony and anxiety. Meditation would be the ending of this space, the ending of your me. Then marriage has rather a distinct which means, for in that space which isn't created by thought, one other isn't going to exist, for you do not exist. Meditation then isn't the pursuit of some vision, nevertheless sanctified by tradition. Alternatively it's the countless House wherever considered are not able to enter. To us, the tiny Area produced by considered all around itself, which is the me, is amazingly critical, for This really is all the click here intellect is aware, figuring out alone with anything which is in that space.
Attract a line from the Sahasrara. With the junction in which the eyes, ears, nose and mouth unite on that axis, that may be The placement of intensity Within this meditation.
श्री अन्नपूर्णा अष्टोत्तरशत नाम्स्तोत्रम्
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति द्वादशोऽध्यायः
अति गुह्यतरं देवि ! देवानामपि दुलर्भम्।।
पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खूं खेचरी तथा॥
अति गुह्यतरं देवि देवानामपि दुर्लभम् ॥ ३ ॥
यस्तु कुंजिकया देवि हीनां सप्तशतीं पठेत् ।
अगर किसी विशेष मनोकामना पूर्ति के लिए सिद्ध कुंजिका स्तोत्र कर रहे हैं तो हाथ में जल, फूल और अक्षत लेकर जितने पाठ एक दिन में कर सकते हैं उसका संकल्प लें.
मारणं मोहनं वश्यं स्तम्भनोच्चाटनादिकम्।
ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल
दकारादि दुर्गा अष्टोत्तर शत नामावलि
सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ परम कल्याणकारी है। सिद्ध कुंजिका स्तोत्र आपके जीवन की समस्याओं और विघ्नों को दूर करने के लिए एक शक्तिशाली उपाय है। मां दुर्गा के इस स्तोत्र का जो मनुष्य विषम परिस्थितियों में वाचन करता है, उसके समस्त कष्टों का अंत होता है। प्रस्तुत है श्रीरुद्रयामल के गौरीतंत्र में वर्णित सिद्ध कुंजिका स्तोत्र। सिद्ध कुंजिका स्तोत्र के लाभ